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#हमसेहैहिम्मत: महिलाओं की आवाज़ बुलंद करने का प्रयास

Thursday, 15 March 2018

पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया और खासकर ट्विटर महिला अधिकार की लड़ाई में सबसे सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। ट्विटर के ज़रिए हर वर्ग की महिलाओं की आवाज़ को अब ज़रूरी चर्चाओं में स्पेस मिला है। इस आवाज़ को और भी मज़बूत करने के प्रयास में इस महिला दिवस के अवसर पर twitter India और Youth Ki Awaaz (YKA) के द्वारा दिल्ली में 7 मार्च को #PositionOfStrength कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

#PositionOfStrength, 2016 में ऑनलाइन स्पेस में लिंग आधारित भेदभाव और जेंडर गैप कम करने के लिए ट्विटर के सहयोग से शुरू की गई एक वैश्विक मुहिम है। हालांकि अब इस मुहिम का मकसद सिर्फ ऑनलाइन स्पेस तक ही सीमित ना होकर असल जीवन में भी महिला अधिकारों के मुद्दे पर एक सार्थक बहस शुरू करना है।

इस बार के #PositionOfStrength कार्यक्रम की शुरुआत हिंदी हैशटैग  #हमसेहैहिम्मत के लॉन्च से की गई। जिसका उद्देश्य इस मुहिम से हिंदी भाषी महिलाओं को  जोड़कर इसे और समावेशी बनाना है। #हमसेहैहिम्मत हैशटैग की शुरुआत उन तमाम समुदाय की महिलाओं के लिए एक क्रांतिकारी कदम है जो मुख्यधारा की चर्चाओं में भाषा की रुकावट के कारण अपनी बात मज़बूती से नहीं रख पाती थी। ट्विटर के पब्लिक पॉलिसी के ग्लोबल हेड कोलिन क्रॉवेल ने इस बारे में बात करते हुए कहा, “हमने इससे पहले भी कई देशों में #PositionOfStrength कार्यक्रम किया है। लेकिन, यूथ की आवाज़ के साथ ये इवेंट इसलिए भी खास है क्योंकि हम पहली बार हम किसी स्थानीय भाषा में हैशटैग लॉन्च कर रहे हैं।” वहीं यूथ की आवाज़ के संस्थापक अंशुल तिवारी का कहना है कि #MeToo जैसे दौर में हमें आगे आने की ज़रूरत है और हम उसी उद्देश्य के साथ #PositionOfStrength और  #हमसेहैहिम्मत के साथ ये सिलसिला आगे बढ़ा रहे हैं।

हैशटैग लॉन्च होने के बाद से ही बड़ी संख्या में महिलाएं इस हैशटैग के साथ महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर बेझिझक अपनी  बात कह रही हैं।

 

इस कार्यक्रम के दौरान लगभग 150 युवाओं के बीच अनुभवी पैनल डिस्कशन काफी उत्साहजनक और अर्थपूर्ण रहा। इस दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चाएं हुईं। आज के दौर में महिलाओं की स्थिति से लेकर समाज में उन्हें बराबरी के हक दिलाने के कदमों पर बातचीत की गई।

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लिप्सटिक अंडर माय बुर्का की अभिनेत्री अहाना कुमरा ने इस बीच बताया कि जिस समाज में महिलाओं के सेक्स पर बात करना एक टैबू बना दिया गया है वहां सोशल मीडिया महिलाओं को सेक्स पर खुलकर बात करने के लिए स्पेस दे रहा है। उन्होंने बताया, “लिप्सटिक अंडर माय बुर्का, के समय भी ट्विटर पर फिल्म को लेकर मुहिम चली और लोगों ने #LipstickRebellion के साथ सेल्फी ट्वीट किया।

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#MeToo कैंपेन के ज़रिए जिस तरह दुनिया के हर कोने से सेक्शुअल असॉल्ट के खिलाफ महिलाओं की आवाज़ बुलंद हुई ठीक उसी तरह #PositionOfStrength  और #हमसेहैहिम्मत के ज़रिए भी twitter India और YKA की कोशिश है कि महिलाएं खुलकर अपने अधिकारों की बात करें, अपने साथ हो रहे अन्याय और भेदभाव के खिलाफ आवाज़ उठाएं।

सांसद और बीजेपी प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने कार्यक्रम के दौरान महिलाओं के सेक्शुअल हरासमेंट से संबंधित कानूनी अधिकारों पर बात भी की। उन्होंने मैरिटल रेप से लेकर स्कूल-कॉलेजों में एंटी सेक्शुअल हरासमेंट सेल के कानूनी पहलूओं से युवाओं को अवगत कराने का प्रयास किया।

इस मुहिम का मकसद भारत में पितृसत्ता की दमनकारी सोच को खत्म करना भी है। कार्यक्रम में साउथ दिल्ली की एडिश्नल डीसीपी विजयंता आर्य ने भारत में पितृसत्ता की दशा पर  टिप्पणी करते हुए कहा, "भारत में पितृसत्ता ने पुरुषों के मन में ऐसी सोच बना दी है कि महिलाओं की ना तो कोई पसंद होनी चाहिए और ना ही उनकी कोई आवाज़ होनी चाहिए।" इस कैंपेन का उद्देश्य इस तरह की सोच पर भी प्रहार करना है।  

कार्यक्रम के दौरान युवाओं ने लाइव ट्वीट करके इस मुहिम में अपनी पूरी भागीदारी निभाई। कार्यक्रम की सबसे अच्छी बात यह रही है पैनलिस्ट महिलाओं के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रही थीं। चाहे वो एक वर्किंग क्लास की महिला की बात हो या फिर एक घरेलू महिला और या एक दलित महिला। जिसकी वजह से महिलाओं के हर पहलूओं पर बाते हुईं।

दलित महिलाओं का प्रतिनिधित्व कर रहीं दलित आवाज़ संस्था की अंजू सिंह ने बताया, “हम जब भी सोशल मीडिया पर अपने हक की बातें करते हैं तो हमें ट्रोल किया जाता है, हमें गालियां तक मिलती हैं, लेकिन बावजूद इसके हम अपनी बातें रख रहे हैं। ये सोशल मीडिया की ताकत है, जहां हर वर्ग के लोगों को अपनी बात रखने का स्पेस मिल रहा है।“ उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया में हिंदी बोलने वालों के लिए एक संघर्ष है और हम उस भीड़ में जगह बनाने की कोशिश में है।

 

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इस तरह अगर हम #हमसेहैहिम्मत की बाते करें तो ये इस दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।

Twitter और Youth Ki Awaaz दोनों का ही उद्देश्य एक ऐसे प्लैटफॉर्म का निर्माण करना है, जहां लोग अपनी बात खुलकर कह सकें। और जब ये आवाज़ आधी आबादी की हो तो ट्विटर और यूथ की आवाज़ दोनों ही एक सशक्त माध्यम के रूप में सामने आया है। Twitter और Youth Ki Awaaz की आगे कोशिश है कि #PositionOfStrength  और #हमसेहैहिम्मत के ज़रिए हमारे देश की आधी आबादी की आवाज़ सामने आए।

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